न दर्द मिटा न घाव भरा॥
ये कैसी बिमारी है॥
अब जाने की बारी है...
बचपन में किया खेल कूद॥
जवानी में जम्प लगाया॥
नौकरी के खातिर घूम घूम कर...
अफसर से टकराया॥
फिर भी कोई बात बनी नहीं॥
सूखी पड़ी ये क्यारी है॥
ये कैसी बिमारी है...
संघर्ष कठिन किया जीवन में।
कुछ अरमान हुए पूरे॥
कोशिस किया बहुत ही हमने॥
कुछ अरमान रह गए अधूरे॥
आशा मेरी निराशा में बीती॥
बिलकुल थाली खाली है...
राम नाम मै जप न सका॥
कहा फुर्सत रही जमाने में...
फिर भी हासिल कुछ कर न सका॥
दो कौड़ी बची है खजाने में॥
उनका संदेशा आ चुका है॥
कहते तेरी बारी है॥
ये कैसी बिमारी है...
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