बुधवार, 30 नवंबर 2011
आते होगे साजन मेरे॥
रात यही सोने दे..
जब तूने बढाया हाथ ॥
मैंने दिया जबाब॥
रात यही सोने दे॥
ख्वाबो में खोने दे॥
२.तूने दिया था फूल॥
मैंने किया था क़ुबूल॥
अब कुछ होने दे॥
रात यही सोने दे॥
१.जब किया तकरार ॥
तुम चले गए बाज़ार...
बात पूरी होने दे॥
रात यही सोने दे॥
२.मै लाया सुन्दर हार...
तूने समझ के रखा उपहार...
बीज अब बोने दे॥
रात यही सोने दे..
मंगलवार, 29 नवंबर 2011
रविवार, 27 नवंबर 2011
पूरी बोतल पी गया मै...
मै सारी बोतल पी गया॥
अपने प्रिया की याद में॥
सुरूर मुझको छाने लगा॥
खूब सूरत रात में॥
जुदायी मुझे बर्दाश्त नहीं॥
तन्हायी न जीने देती॥
हर पल उसकी याद आती॥
यादे न सोने देती॥
अब लड़खड़ाने लग गया हूँ॥
जाम लेके हाथ में॥
हवाओ ने रुख अदल दिया.है॥
आती नहीं है पास में॥
दिल धड़कने लग गया है॥
पड़ गया हूँ खाट पे॥
लफडा..
मासूम का दिल मैंने तोड़ा॥
खरीद न सका महगा कपडा॥
वह अड़ारहा अपनी जिद पर॥
बीबी करती मुझसे झगडा॥
बात बढ़ी वह चुप न हुआ॥
गुस्से में मारा तगड़ा thapda ॥
मै कोस रहा था जिनगी को॥
तक़दीर को गाली देता था॥
रुपयों को खातिर होता है॥
सुबह शाम हरदम लफडा॥
शुक्रवार, 25 नवंबर 2011
बतावा गोरी सोयी की रात जागी...
अँधेरे मा घाँघरा कय का काम बाटे ..
बतावा गोरी सोयी की रात जागी...
बहुत दिना से अकड़ी बा देहिया॥
नाहक लगाए तोहसे नेहिया॥
तोहरी सुरातिया का मन कहय चाटी॥
बतावा गोरी सोयी की रात जागी...
मन भवा चंचल चुवय लाग लार...
जब तोह्सी चिपकी मचावा गोहार...
लगत बा जबरजस्ती तोहका धांसी॥
बतावा गोरी सोयी की रात जागी...
दस दिन होय गवा भवा नहीं कमवा॥
बहुत उतरात बा हमरव मनवा...
खली पिसान काहे ओहका फांकी...
बतावा गोरी सोयी की रात जागी...
थोड़ा मह्गायी कम कर दो...
हे राजनीति के नेता गण ॥
थोड़ा महगाई कम कर दो॥
जनता पे इतना रहम कर दो...
बच्चो को अब दाल न मिलती॥
न खा सकते है सेब...
महगाई मार पड़ी है...
खाली पडा है जेब...
रूठ चुकी है सारी पब्लिक//
जनता का गुस्सा नरक कर दो...
गुरुवार, 24 नवंबर 2011
लड़का॥
आवा करा शरमावा न करा॥
काजू कय बार फी खावा करा॥
चाहे एक टका महगी बिकावा करा॥
मुला रात अन्धियरिया गोरी आवा॥
लड़की:
आवा करा शरमावा न करा॥
काजू कय बर्फी खावा करा॥
चाहे घुइन टका शेर बिकावा करा॥
मुला रात अन्धियरिया पीया आवा करा॥
लड़का:
काशी कय लड्डू बनारस कय पड़ा ॥
जाय भुसावल से लाये केला॥
बड़ा परशान भये रहे जो अकेला॥
मुहवा पय चिपकावा करा॥
मुला रात अन्धियरिया गोरी आवा॥
लड़की::
सोने के थाली में जेवना लगायव... ॥
फूलो की खुशबू से सजायव॥
हंस हंस राजा खावा करा॥
मुला रात अन्धियरिया पिया आवा.करा॥
लड़का॥
झुमका लाये बाली लाये...
एक मोतियाँ कय हार गुहाये॥
सज धज के मुस्कावा करा॥
मुला रात अन्धियरिया गोरी आवा॥
इसमे कितनी अच्छायी है...
वर्तमान स्थिति यही है बचवा॥
भ्रष्टाचार बुरायी है॥
इन्ही तीनो की गलती से॥
मह्गायी इतनी छायी है...
सच्चाई की डोर जो खिचती॥
उससे निकर कोई न पाता ॥
भ्रष्टाचार बुरायी जाती...
खुशियों का मौसम फिर से आता॥
जूते थप्पड़ नेता खाते ॥
इसमे कितनी अच्छाई है?
साफ देश के सही नागरिक ...
हम भारतीय कहाते है॥
सच्चे नेता लोग को हम सब॥
सर आँखों पे बिठाते है॥
लोगो का दिल अब टूट चुका है...
तभी आभा चिल्लायी है..
चौहद्दी म उड़ा जब लहगा..
चौहद्दी मा उड़ा जब लहगा॥
लौडे शोर मचाय देहेन ॥
भरी जवानी रस टपके ला॥
बुढाऊ लार टपके देहेन॥
जुनी की जायी सिटी बाजे॥
और हिलावय हाथ॥
केहू केहू तो करय इशारा॥
कब होए मुला कात...
स्वागत म हमरे महफ़िल सज गय॥
रास्ता भर फूल बिछाय देहेन...
मंगलवार, 22 नवंबर 2011
जब बबुनी भयी उघार..
सोमवार, 21 नवंबर 2011
हमें पूर्वांचल नहीं अवध चाहिए..
धन्यवाद॥