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सोमवार, 21 नवंबर 2011

हमें पूर्वांचल नहीं अवध चाहिए..

हमें पूर्वांचल नहीं अवध चाहिए...
जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के चार खंड होने वाले हैउससे यह मालुम होने लगा हैकी उत्तर प्रदेश के टुकड़े हो तो अच्छा होगाजैसे की आप सुबह जब मै अखबार पढ़ा तो उसमे लिखा था की इलाहबाद ,प्रतापगढ़,फ़तेह पुर ये सब पूर्वांचल में आयेगेये बात मेरे समझ में नहीं रही हैक्यों की इलाहबाद ,फतेहपुरप्रतापगढ़, इन सब की बोलिया अवधी हैइस लिए इन जिलो को अवध में सम्लित किया जाना चाहिएवैसे जब से थोड़ा भोजपुरी का उत्थान होने लगा है हमारी अवधी भाषा विलुप्त के कगार में आके खड़ी हैक्यों की हमारे लोगो के जिलो में अभूत से कलाकार.खिलाडी है उनको अभी तवज्जो मिल रही हैऔर बाद में मिलने की संभावना रहेगीक्यों वैसे हम गीत लिखते है अवधी और हिंदी में लेकिन मै १० साल से कोशिस कर रहा की कोई सिंगर मेरा गीत गायेलेकिन हमें अधिकतर यही कहा जाता हैकी हम अवधी की जगह भोजपुरी के लिखे वैसे ये तीनो जिले गरीब रेखा नीचे ही आते होगे गर ये पूर्वांचल में सम्मलित किये गए तो निश्चित ही ..इअके दिन बुरे जायेगेइस सब से निवेदन है की आप लोग कोसिस करिए की अगर उत्तर प्रदेश कर बटवारा होता हैतो हमें अवध चाहिए... वैसे भी हम लोग अवध के वासी हैऔर अवध में ही रहना पसंद करेगेवैसे पहले भी हमारे यहाँ के राजाओ का नाम अवध या अवदेशऔर अभी भी हम लोग उत्तर प्रदेश के बाद भी अवध

धन्यवाद

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