मै हूँ आभारी उस रजनी का॥
जो रातो में हमें जगाती थी॥
सच्चाई के पथ पर चलने की॥
परिभाषा हमें बताती थी॥
हर मौके पर मेरा साथ दिया॥
आफत में गले लगाती थी॥
जब तक मै नहीं हंसता था॥
प्यार के गीत सुनाती थी॥
जब से हो गया व्याह हमारा॥
अब पास नहीं वह आती है॥
न तो अपने सुन्दर शब्दों से॥
मन की बात बताती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें