नित नए नए निबास लपेटे॥
वह पूर्व दिशा से आती है॥
आके मेरे दरवाजे पर वह॥
अपनी मुस्कान बिखराती है॥
जब आँख हमारे से मिलती॥
वह पशिचम दिशा को जाती है...
नाम पता मुझे नहीं है मालुम॥
फिर भी सूरत भरमाती है॥
बात चीत कुछ नहीं हुयी है॥
मन बतलाने को करता है॥
उसकी भोली सूरत पर॥
शायद मेरा दिल मरता है...
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