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बुधवार, 30 नवंबर 2011

गली दादा बन के घुमय
खुद का बनय खलीफा
जब देखा जब करय लडाई
गए रात पीटा
इनकी इतनी नियत बुरी है
करते बुरे है काम
एक नाम से नहीं माहिर
इनके कई है नाम...
राम्कलिया सीना नापय
हाथ लय के फीता
गली म दादा बन के घुमय॥
खुद का बनय खलीफा॥
जब देखा जब करय लडाई॥
गए रात म पीटा॥
उडिहा भुढीय कुछ देखय
सब से आँख लडावे...
अगर अकेली कोऊ मिलय
घर के अन्दर बुल्वावे
यही चक्कर मा काल दुपहरे
जम के गए घसीटा
गली म दादा बन के घुमय॥खुद का बनय खलीफा॥जाब
देखा जब करय लडाई॥गए रात म पीटा॥
घर के लोग बोलय मुह से
अगल बगल के भागय...
जब आवे गली के अन्दर
रात भर सब जागे...

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