गली म दादा बन के घुमय॥
खुद का बनय खलीफा॥
जब देखा जब करय लडाई॥
गए रात म पीटा॥
इनकी इतनी नियत बुरी है॥
करते बुरे है काम॥
एक नाम से नहीं माहिर॥
इनके कई है नाम...
राम्कलिया सीना नापय॥
हाथ म लय के फीता॥
गली म दादा बन के घुमय॥
खुद का बनय खलीफा॥
जब देखा जब करय लडाई॥
गए रात म पीटा॥
उडिहा भुढीय कुछ न देखय॥
सब से आँख लडावे...
अगर अकेली कोऊ मिलय॥
घर के अन्दर बुल्वावे॥
यही चक्कर मा काल दुपहरे॥
जम के गए घसीटा॥
गली म दादा बन के घुमय॥खुद का बनय खलीफा॥जाब
देखा जब करय लडाई॥गए रात म पीटा॥
घर के लोग बोलय न मुह से॥
अगल बगल के भागय...
जब आवे ऊ गली के अन्दर॥
रात भर सब जागे...
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