ऊ नदिया कय बलुहर रेता॥
हमरे मन का भाय गवा॥
हम बढ़िया शहर दिल्ली का छोड़॥
फिर से गाँव मा आय गवा॥
हुआ कय भीड़ भाड़॥
अव गाडी कय आना जाना॥
हुआ रोजी क़त्ल होत है॥
चोरी लूटै रोज खजाना॥
ऐसी हालत देख के॥
हमरव मनवा अकुलाय गवा...
हम बढ़िया शहर दिल्ली का छोड़॥
फिर से गाँव मा आय गवा॥
फिर से गाँव मा आय गवा॥
भाय बहिन बाप बेटी॥
केहू केहू का पहिचानै न॥
आधी रात की घूम के आवय॥
बात केहू कय मानय न॥
महगाई कय टूटी बोलय॥
गरीब लोग न जिये हुआ॥
रोज रोज कय झेल के झटका॥
मनवा हमरव झुझलाय गवा..
हम बढ़िया शहर दिल्ली का छोड़॥
फिर से गाँव मा आय गवा॥
फिर से गाँव मा आय गवा॥
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