कागा नित दरवाजे पर मेरे॥
काव कांव जब करता है॥
आते होगे साजन मेरे॥
मन उमंगें भरता है...
सज धज कर मै राह निहारू...
हो जाती है शाम...
काम काज में मन नहीं लगता॥
ना छाँव लगे न घाम...
बीते पल को सोच सोच कर...
सूरज यूं ही ढलता है॥
आते होगे साजन मेरे॥मन उमंगें भरता है...
फोन की घंटी जब बजती है॥
दौड़ लगा के जाती हूँ॥
आवाज सुनती हूँ औरो की जब...
रोटी वापस आती हूँ...
आस का दीपक मन मेरा है॥
रात दिना जो जलता है...
सासू जेठानी ननद दिवरानी॥
सब कोई मारे ताना॥
ससुर हमारे बक बक करते॥
जल्द बनाओ खाना॥
सुन सुन बाते मन व्याकुल है॥
कब होगा साजन आना॥
लगता नहीं है दिल यहाँ पे॥
मन मौके जाने को करता है...
आते होगे साजन मेरे॥मन उमंगें भरता है...
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