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शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

बतावा गोरी सोयी की रात जागी...

अँधेरे मा घाँघरा कय का काम बाटे ..

बतावा गोरी सोयी की रात जागी...

बहुत दिना से अकड़ी बा देहिया

नाहक लगाए तोहसे नेहिया

तोहरी सुरातिया का मन कहय चाटी

बतावा गोरी सोयी की रात जागी...

मन भवा चंचल चुवय लाग लार...

जब तोह्सी चिपकी मचावा गोहार...

लगत बा जबरजस्ती तोहका धांसी

बतावा गोरी सोयी की रात जागी...

दस दिन होय गवा भवा नहीं कमवा

बहुत उतरात बा हमरव मनवा...

खली पिसान काहे ओहका फांकी...

बतावा गोरी सोयी की रात जागी...

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