सकुचाते थे दर पे आते थे॥
बात नहीं कह पाते थे॥
शायद वे शर्माते थे।
मुस्काते थे लजाते थे॥
कहने के पहले चले जाते थे॥
शायद वे शर्माते थे।
मै चिढाती थी बन बहलाती थी॥
मेरा इशारा समझ न पाते ॥
शायद वे शर्माते थे।
रूप दिखाती आँख चमकाती॥
अपनी कमर भी मटकाती॥
लेकिन वे रुक जाते थे॥
शायद वे शर्माते थे।
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