वर्तमान स्थिति यही है बचवा॥
भ्रष्टाचार बुरायी है॥
इन्ही तीनो की गलती से॥
मह्गायी इतनी छायी है...
सच्चाई की डोर जो खिचती॥
उससे निकर कोई न पाता ॥
भ्रष्टाचार बुरायी जाती...
खुशियों का मौसम फिर से आता॥
जूते थप्पड़ नेता खाते ॥
इसमे कितनी अच्छाई है?
साफ देश के सही नागरिक ...
हम भारतीय कहाते है॥
सच्चे नेता लोग को हम सब॥
सर आँखों पे बिठाते है॥
लोगो का दिल अब टूट चुका है...
तभी आभा चिल्लायी है..
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