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रविवार, 20 नवंबर 2011

भारत देश...

भारत को कोई भय नहीं है
भारत का भाग्य उजाला है
हे जल-जल कर मरने वाले
हमने तेरा क्या बिगाड़ा है
जब देखो तुम करते धमाका
दहशत क्यों फैलाते हो
छुप छुप कर देश के अन्दर
पीछे से तीर चलाते हो
फिर भी तुमपर तरस है
ये सच का बना किवाड़ा है
हे जल-जल कर मरने वाले॥हमने तेरा क्या बिगाड़ा है॥
बाज आते आदत से अपने
कितनी बार लताड़ा है
जो बने थे दादा घर के अन्दर...
उनको भी हमने पछाड़ा है
क्यों बकवास के नाटक करते
ये भारत देश निराला है
हे जल-जल कर मरने वाले॥हमने तेरा क्या बिगाड़ा है॥

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