जब जवानी की यादे॥ बुढापे में आती॥
गम की फुहारों से आँखे भिगाती॥
हांड भय शरिरिया गुमान भैला ढीला॥
जौन जौन चाहे उहे उहे कीन्हा॥
अब आवे न निंदिया बहुत है लजाती॥
जब जवानी की यादे॥ बुढापे में आती॥
गम की फुहारों से आँखे भिगाती॥
जवानी के जोश छपरा हिलाए॥
अंधन का रास्ता साहिये बताये॥
ढिठाई तो दूर हमें देख भाग जाती॥
जब जवानी की यादे॥ बुढापे में आती॥
गम की फुहारों से आँखे भिगाती॥
रारी से राह करे अधर्मी का पीटे॥
बुरायी से दूर रहे सच्चायी का जीते॥