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रविवार, 25 जुलाई 2010

सतरंगी सपना..

हिलय लाग खटिया ,,

बहारे लाग बढ़नी,,

बाजय लाग टठिया॥

चालय लाग चलानी॥

कैसी अनोखी घटना॥

ई घट गइली...

जाय के नदिया मा मारे डुबकी॥

हमका गटक गय एक ठी मेढकी॥

ताजुब वाली बात आज ॥ आँख देख आइली॥

कैसी अनोखी घटना॥
ई घट गइली...

अखिया तो देखिस बहुते अचम्भा॥

सोने के घरवा मा खोने के खम्भा॥

बोलय लाग सुपवा ,,खुटिया मुस्कैली॥

कैसी अनोखी घटना॥
ई घट गइली...

घोड़ा रामायण पढ़े॥बकरी पोथी ॥

भैस पहने घाँघरा..गाय पहने धोती॥

ऐसी बिच्त्र बतिया हुआ घट गइली॥

कैसी अनोखी घटना॥
ई घट गइली...

एक ठौर कुकरा से भैली मुलाक़ात॥

कैसे बाहर जायी पूछले बवाल...

भौ भौ कैले तो आँख टूट गइली॥

कैसी अनोखी घटना॥
ई घट गइली...

सतरंगी सपना..

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