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मंगलवार, 13 जुलाई 2010

आनर किलिंग

राम दास बिटिया मरवाये॥

कैहय का ज़माने का॥

सारा खजाना खाली होए॥

सड़ जैहै जेलखाने माँ॥

बहुत पढौले बहुत लिखौले॥

बहुत किये उपचार ॥

सांझ सबेरे फूक लागौले॥

बहुत थे करते प्यार॥

प्रेम रोग लागा लड़की के॥

कय देहलेश इज़हार॥

अपुना तो पापी खुद बनले॥

संग फसौले पांडे का॥

राम दास बिटिया मरवाये॥
कैहय का ज़माने का॥

मन पसंद शादी कय लहलिश॥

तो कौन किया अपराध॥

कौन सी इज्ज़त मान घटल बा॥

कहा से घटी बा शान॥

बड़ा क्रूर अब बना ज़माना॥

सोचा नफ़ा घराने का॥

आय लगा कानून कय डंडा॥

का हाल बा कैद खाने माँ...

राम दास बिटिया मरवाये॥
कैहय का ज़माने का॥

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