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गुरुवार, 22 जुलाई 2010

पहली पहली मुलाक़ात हो....

जब खिला चंद्रमा रात हो॥

पहली पहली मुलाक़ात हो॥

प्यारे तारो का साथ हो॥

सँघ प्रियेतम का हाथ हो॥

तब नदिया कल कल बोलेगी॥

मस्त पवन भी डोलेगी॥

बन में मोर भी नाचेगा॥

पायल का घुघरू बाजेगा॥

ऐसी सजी वह रात हो॥

जब साजन का साथ हो॥

जब खिला चंद्रमा रात हो॥
पहली पहली मुलाक़ात हो॥

वन उपवन सज जायेगे॥

भौरे कलियों पर आयेगे॥

प्रेम गीत भी गायेगे॥

अपनी बात बतायेगे॥

तब चहरे पर साज़ हो॥

जब खिला चंद्रमा रात हो॥
पहली पहली मुलाक़ात हो॥

मन चंचल होके डोलेगा॥

प्रिये से प्रेमी बोलेगा॥

छुपे राज़ को खोलेगा॥

कानो में मिठास तो घोलेगा॥

होठो पर मुस्कान हो...

जब खिला चंद्रमा रात हो॥
पहली पहली मुलाक़ात हो॥

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