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रविवार, 4 जुलाई 2010

जिसके कारण आज मै शराब पी रहा हूँ..

क्यों याद करके हंसती हो ॥
मेरी जिंदगी पर॥
अपने पराये बन गए॥
मै तनहा जी रहा हूँ॥
तुम्हारे लिए ही मै॥
खोदा अथाह सागर॥
बीच भावर में छोड़ कर॥
फोड़ दी थी तुमने गागर॥
इसी वियोग में प्रिये॥
जिंदगी को सिल रहा हूँ॥

याद होगा तुमको ॥
हमने जब तुमको थामा॥
कसमे सभी तुम भूल कर॥
दिखा दिया क्या ड्रामा॥
उसी ड्रामे के सदमे से॥
जिंदगी को पी रहा हूँ॥

मुझको समझ अब आयी॥
दिल कैसे टूटता है॥
बड़ा ही क्रूर बन कर॥
जब हमें कूटता है॥
उसके ही वार से मै॥
भिन्न भिन्न हो रहा है॥
तुम याद करके रखना॥
अपनी उस कमी को॥
जिसके कारण आज मै॥
शाराब पी रहा हूँ॥

शम्भू नाथ

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