गहराई समुन्दर से॥
सच को लाते है॥
सच को उजागर करते॥
सच ही दिखाते है॥
हम लौह पुरुष बन के॥
उनके पीछे लगे जाते है।,॥
उनके कर्म कुकर्मो का रूप॥
दिखाते है...
फिर परदे पर आने में वे॥
दुल्हन जैसे शर्माते है॥
पत्रकारों की रचना पढ़ लेते है प्राणी॥
उनको मुर्ख समझ के अपने को समझे ग्यानी॥
ताजुब वाली बात हम सच सच बतलाते है॥
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