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सोमवार, 26 जुलाई 2010

रात नाही सोयली..

भइली जवानी जब से॥
चटकोर चाँद लागली॥
आधी आधी रतिया॥
निदारिया से जगती॥

चारो आँख लड़ते बहुत कुछ कहती॥
कैसे हाल चाल इशारा इधर करती॥
बैठो आवा बगली बिजली गुल भइली॥
आधी आधी रतिया॥
निदारिया से जगती॥

बोलिया तो उनकी कैली मदहोश॥
हथवा लागौतय चढ़ गइला जोश॥
रतिया बेकार भइल बिजली आय गइली॥
आधी आधी रतिया॥
निदारिया से जगती॥

माई पूछे कहा आवत बाटू धिरिया।
कहू नाही गय रहली खाय गए क्रिया॥
जल्दी भिनौखा भैला रात नहीं सोयली॥
आधी आधी रतिया॥ निदारिया से जगती॥

हमारे शरिरिया कय खिल गइली कलियाँ॥
चारो जून पहरा दिये लाग मलिया॥
प्यार बड़ा महागा पडा मार हम खैली॥
आधी आधी रतिया॥
निदारिया से जगती॥

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