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मंगलवार, 20 जुलाई 2010

राम्लाल्वा कय किस्मत फूटी..


रम्लाल्वा कय किस्मत फूटी॥
कलयुगी मेहरिया आइल बा॥
चार हण्डिया का चाट चूट के॥
रम्लाल्वा पे घात लागाइल बा॥
रम्लाल्वा कय किस्मत फूटी॥कलयुगी मेहरिया आइल बा॥

करय इशारा हयने आवा॥पहले तेल लगावा॥
गमकौवा साबुन लय हमका॥
गोदिया मा नहवावा॥
बड़ी गरू देहिया बा ओके।
भैसी जस मोटईल बा॥
रम्लाल्वा कय किस्मत फूटी॥
कलयुगी मेहरिया आइल बा॥


सास का धक्का दय देहलिस॥
ससुर कय खोलिस धोती॥
ननदी का जम के गरियाईस॥
देवरा कय खिचिस लंगोटी॥
धमा चौकड़ी दिन दुपहरिया॥
संध्या भोर मचैल बा॥
रम्लाल्वा कय किस्मत फूटी॥कलयुगी मेहरिया आइल बा॥

छत पे चढ़ के सिटी बजावे॥
खोले बाटे अखाड़ा॥
बड़े बड़े पहलवान है आवय॥
फट फट होय किवाड़ा॥
फ़ोकट माँ लाठी चल जाए॥
ऐसी उधम मचाइल बा॥
रम्लाल्वा कय किस्मत फूटी॥कलयुगी मेहरिया आइल बा॥

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