हमारा देश क्रषि प्रधान देश है , जैसे जैसे लोगो के ज्ञान का उदय हुआ वैसे वैसे आव्शायाक्ताये बढाती गयी। नयी नयी सभ्यताओं का उदय हुआ , पहले के लोग अपनी खेती नदिया.ताल्बो , तथा कुआ से करते थे,,
यही नहीं जो लोग कुआ तालाब kहुदाते थे, उन्हें रईसों में गिनती की जाती थी। यही कहानी कचनार पुर गाँव की है,। यहाँ पर एक कुआ है गाँव की सीमा पर है, जो उस जगह के वातावरण को बनाए रखा था। कुछ लोग कहते है की ये मुसलमानों के शाशन काल का है, क्या भी बहुत ही बड़ा और सुन्दर बना था, पहले यहाँ पर इस कुआ का पानी ऋषि,मुनि, राजा महाराजा, गाँव के २० किलो मीटर के लोग इस कुए का पानी पीते थे, एक बार की बात यहाँ लोग गाय। भैस चराते थे,। अनजान में कुए के अन्दर के बछिया गिर गयी लोग ढूढते रहे लेकिन कुए के पास कोई नहीं आया , रात बीत गयी सुबह हो गयी। तो लोग उधर दिशा मैदान के लिए जा रहे थे की कुए से बछिया की आवाज़ आ रही थी। लोगो ने कुए के अन्दर देखा तो बछिया आराम से खड़ी थी और बाहर निकालने के लिए उतावली थी। लोगो को आश्चर्य का ठिकाना न रहा क्यों की कुआ सूख गया था, जब लोगो के प्रयास से बछिया को बाहर निकाला गया तो ,। कुए के अन्दर फिर से पानी आ गया॥ लोग उस कुए की पूजा करते थे। दिवाली पर दिया जलाते थे। अब लोगो को सरकार ने सुविधाए उप्लाव्ध्करा दी है, अब तो कोई उस कुए के पास जाता ही नहीं,,, कुछ स्कूली सरारती छात्र रोज़ उस कुए के पास जाते है, और उस किये की छुही गिरा गिरा के कुआ भांठ रहे है, आज वही कुआ रो रहा है, इस जमाने पर क्यों की पहले के लोग कुए का सम्मान करते थे। अब तो लोग कुए को भांठ रहे है, और उसमे थूक भी रहे है, कुआ कहता है की हमें भान्ठाने का डर नहीं मुझे इस बात का अफसोश है , की अब मै किसी की प्यास नहीं बुझा सकता हूँ। मेरा पानी अशुद्द हो गया है, मेरा अश्तित्व समाप्त हो रहा है,
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