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सोमवार, 5 जुलाई 2010

मेरे महबूब आये हुए है..

बादलो आके आँगन में बरसो॥

मेरे महबूब आये हुए है॥

उनकी सूरत बड़ी खूब सूरत॥

मेरा सपना सजाये हुए है॥

चुग चुग फूलो की माला बनायी॥

मंडप में हाथो से पिन्हाई॥

अपनी ख़ुशी को ओ॥

मुझपर सब लुटाये है॥

बादलो आके आँगन में बरसो॥
मेरे महबूब आये हुए है॥

सोने की थाली में जेवना सजाई॥

अपने हाथो से उनको खिलायी॥

होठो की हंसी ओ ॥

मुझपर सब बहाए है॥

बादलो आके आँगन में बरसो॥
मेरे महबूब आये हुए है॥

लाची लावागी का वीरा लगाई॥

अपने हाथो को उनको देखाई॥

मेरी हंसी को देख कर॥

पलकों में बिठाए हुए है॥

बादलो आके आँगन में बरसो॥
मेरे महबूब आये हुए है॥

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