पृष्ठ

शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

पापा का फुश्लावत रहनी

ऊ बचपन कय दौर गुज़ार दीं॥

जब अम्मा तेल लगावत रहनी॥

हाथ पकड़ के बुआ चलावे॥

मौसी खूब दुलारत रहनी ॥

चाचा चाची की गोदिया माँ।

दादी जब पुचकारत रहनी॥

बाबा नाना कय गज़ब कहानी॥

मामी जी भरमावत रहनी॥

माटी लगाए नंघा घूमी॥

दीदी तेल लगावत रहनी॥

उधम धडाका चुल्हा फोरी॥

पापा का फुश्लावत रहनी॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें