पृष्ठ

मंगलवार, 13 जुलाई 2010

होय जाबय बदनाम बबुवा॥

नाहक रार मचावत बाटेया ॥

न करा उपद्दरी काम॥

बबुआ॥

होय जाबय बदनाम बबुवा॥

न मिला कोलिया पिछवारे॥

न मिला नदिया के तीर॥

न तो मीठी बोली बोला॥

न बजावा रतिया बीन॥

करा पदाई छोड़ा लफडा॥

बन जाबेया इंसान बबुवा॥
होय जाबय बदनाम बबुवा॥

न आँख चलावा न मुस्कावा॥

न करेया घर पे फ़ोन॥

बडका भैया पुलिस मा हमरे॥

छोटका बहुत बहावै खून॥

kरूर समय जल्दी आ जाए॥

बुरा होए अंजाम बबुवा॥

होय जाबय बदनाम बबुवा॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें