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मंगलवार, 27 जुलाई 2010

जब धूल निकलती है...

जब धुप निकलती प्रातः काल कलियाँ खिल खिल हंसती है॥

पेड़ पे बैठी चिड़िया रानी चू चू ची ची करती है...

जग जाते है सरे प्राणी बब्लू स्कूल को जाता है॥

द्वारे द्वारे जोगी जाके प्रभु की अलख जगाता है॥

राम राम जब सों चिरैया ले ले कर रटती है॥

मेरे आँगन में गौरैया फ़र फ़र फुदकती है॥

तब दिन दिवाकर बन जाते है अपनी किरण फैलाते है॥

हर किसान खेतो में अपने काम से जुट जाते है॥

सब सुख शान्ति ले करके उनकी ज्योति चमकती है॥

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