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सोमवार, 5 जुलाई 2010

आये हो इश्क बहार में..

मौसम मेहरवान है॥

कुछ साज तो बजा दो॥

आये हो इश्क बहार में॥

वह राज़ तो बता दो॥

कलियाँ खिल खिला के /॥

अंगडाई ले रही है॥

आओ हमारी बाहों में॥

ये बात कर रही है॥

भरी जवानी आंधी आयी॥

दिल की बगिया में ओट लगा दो॥

आये हो इश्क बहार में॥
वह राज़ तो बता दो॥

मोर है नाचत ॥कोयल गाती॥

मेढक की टर्र टर्र तान सुनाती॥

पड़ी फुहारे मन बौराए॥

आके मेरी प्याद बुझा दो॥

आये हो इश्क बहार में॥
वह राज़ तो बता दो॥

सूरज छुप गया ॥रात अँधेरी॥

देखो सरग में बदरी घनेरी॥

मै सज धज के कड़ी हुयी हूँ॥

प्रीतम मेरी मांग सजा दो॥

आये हो इश्क बहार में॥
वह राज़ तो बता दो॥

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