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मंगलवार, 27 जुलाई 2010

लरिकन संग गुल्ली खेला करय...

गली गली बिछुवा हेरा करय

लरिकन संग गुल्ली खेला करय॥

काजू मागावे बादाम बगावे॥

अपने मुड़वा के जुवा हेरवावे।,.

बार बार मुहवा मोड़ा करे...

लरिकन संग गुल्ली खेला करय॥

गोडवा के उनके जब बाजे पयालिया॥

अचरज माने गोरकी सहेलिया॥

फुलवा गुलाब जस खिला करे...

लरिकन संग गुल्ली खेला करय॥

मचलय जवानी लहराय ओढनिया॥

खन खन करली उनकी झुलानिया॥

अटके जब मुसरा हीला करय...

लरिकन संग गुल्ली खेला करय॥

होतय भिनौखा मलीन भइली देहिया॥

नाजुक उमरिया लागौलू तू नेहिया॥

प्यार वाली चुनरी गीला करे...

लरिकन संग गुल्ली खेला करय॥

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