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सोमवार, 26 जुलाई 2010

तीन तराने गाऊगी॥

हे महा युद्ध के महारथी॥
आज तुम्हे अजमाऊगी॥
तेरे सीने पर चढ़ के॥
तीन तराने गाऊगी॥

पहला तराना यही है मेरा॥
शौक सिंगार सुहाना हो॥
भरी सभा में आभा चमके॥
ऐसा मेरा ज़माना हो॥
अपने इशारे पर तुमको॥
तेरह बार नाचाऊगी॥
तेरे सीने पर चढ़ के॥
तीन तराने गाऊगी॥
दूसरा तराना यही रहेगा॥
दूसरा तराना यही रहेगा।
कोई हमें न झांके॥
तेरी बंद पड़ी पुतकी को॥
कोई और न खोले॥
हर संभव प्रयास करूगी॥
अपनी माँग सजवाऊगी॥
तेरे सीने पर चढ़ के॥
तीन तराने गाऊगी॥
तीसरा तराना यही हमारा॥
मेरे बच्चे भविष्य सजाये॥
संस्कारों की ज्योति जलाए॥
सुख संपाति घर आये॥
सात जन्मो तक हंस हंस करके॥
तुमसे ब्याह रचाऊगी॥
तेरे सीने पर चढ़ के॥
तीन तराने गाऊगी॥

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